Wednesday, April 13, 2011

कविता : कोयल हूँ मैं कोयल

 कोयल हूँ मैं कोयल 

कोयल हूँ मैं कोयल हूँ ,
काली  काली कोयल हूँ |
हरे पेड़ों की डाल पर बैठती हूँ ,
सबको मीठे गीत सुनाती हूँ |
सबको मैं बहलाती हूँ ,
तभी तो सबके मन को भाती हूँ |
कोयल हूँ मैं कोयल हूँ  , 
काली काली कोयल हूँ |

नाम : शैलेश कुमार 
कक्षा : 5th 
सेंटर : अपना स्कूल ,
          कानपुर

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