Tuesday, July 26, 2011

कविता : आम

आम 
सुंदर और सजीला आम,
कितना रंग रंगीला आम |
सबके मन को भाता आम,
कुछ खट्टे कुछ मीठे आम |
कुछ कच्चे कुछ पक्के आम,
सबका जी ललचाता आम |
कुछ महंगे कुछ सस्ते आम,
अब सब खरीदते हैं आम |
नाम : आबिद अली 
कक्षा : 1 
सेंटर : अपना स्कूल , पनकी पड़ाव

1 comment:

  1. बहुत अच्छे आम और बहुत सुंदर कविता

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