Saturday, October 22, 2011

कविता : काला कौआ

काला कौआ
 कौआ होता है काला,
और होता है बड़ा मतवाला |
करता है वह काँव काँव ,
जाता है वह गाँव गाँव |
जूठा सबका है ये खाता,
काँव काँव नहीं इसका भाता |
नाम : नीरज कुमार 
कक्षा : 3rd 

No comments:

Post a Comment