Monday, October 15, 2012

नाम - गौरी
कक्षा - 4
सेंटर - धामीखेडा अपना स्कूल ,कानपुर
नाम - गौरी
कक्षा - 4
सेंटर - धामीखेडा अपना स्कूल, कानपुर

Sunday, June 24, 2012

शीर्षक - मेढक

 मेढक 
मेढक बोल रहा है टर्र - टर्र ,
बारिश होगी जाने कब ?
गर्मी की है वाह -वाही ,
बच्चा-बच्चा बोल रहा गर्मी जाएगी कब ?
धरती है न जाने कितनी प्यासी ?
किसान के चेहरे पर छाई है मायूसी ।
इस गर्मी ने तो सबको किया निराश ,
जिससे  टूटी सबकी आश ।
छाये हैं बादल काले - काले ,
न बरश दिए दुःख के प्याले ।
जब यह  गरज -गरजकर बरसेंगे ,
तब ये मन भावन -सावन लायेंगे ।
धरती होगी हरी - भरी ,
लगेगी बागों की सुंदरी ।



नाम - ज्योति 
कक्षा -5th 
सेंटर - अपना स्कूल धामीखेड़ा 
            सेंटर , कानपुर 
         

 

Saturday, June 23, 2012

शीर्षक - पंख पसारे

पंख पसारे 
फुदुक  रही है फूल फूल पर ,
कोमल पंख पसारे ।
रंग - बिरंगे पंख पसारे ,
प्यारे -प्यारे रंग - ढंग को इसके देखो ।
हाथ कभी न इसे लगाना ,
पकड़ोगे तो उड़ जाएगी ।
 क्योंकि फिर न होगा,
 इसका आना ...................।






नाम - ज्योति  
कक्षा - 5th
सेंटर - अपना स्कूल , धामीखेड़ा 
            कानपुर 


Sunday, June 17, 2012

कविता - चूहे

 चूहे 
तीन चूहे भाग रहे थे ,
बिल्ली ने उन्हें देख लिया ।
बिल्ली बोली म्याऊँ (मैं आऊँ ) , 
चूहे बोले बिल्ली मौसी ना ,ना ,ना ।
हमारे पास कभी ना आना ।
तू जो पास हमारे आएगी ,
मार के हमको खाएगी ।

नाम - सरिता 
कक्षा - 8th 
सेंटर - अपना स्कूल , पनकी 
           सेंटर , कानपुर 


Saturday, April 21, 2012

शीर्षक : मौसम ने बदला मिजाज

मौसम ने बदला मिजाज 
मौसम ने बदला मिजाज ,
बादलों ने आसमां को दिया साज ।
हवा चल रही है अपनी धुन में ,
पेड़ों की डाली हिलाए अपने संग में  ।
खेतों में गेंहू की बाली लहलहाती ,
जो किसान के मन को भाती ।
मन ही मन में सोंचता और कहता ,
अन्न से भर दे कोठी दाता ।
कहीं धुप है कहीं छाँव है ,
बागों के बीच गाँव है ।
हमको लगता सबसे प्यारा ,
जो है गाँव हमारा ।
इस मौसम में अगर  पानी बरसा  ,
बड़े जोर की ठण्ड पड़ेगी सहसा ।
ये है मौसम का मिजाज ,
कोई न जाने कब कर ले सब पर राज ।
नाम : आशीष कुमार 
कक्षा : 9th 
अपना घर   
                              

Wednesday, March 28, 2012

कविता : हमारा स्कूल

हमारा स्कूल 
स्कूल हमारा बड़ा प्यारा ,
शिक्षा पाने का है द्वारा ।
दूओर दूर से बच्चे आते ,
शिक्षक सबको रोज पढ़ाते ।
हमारी दीदी बहुत अच्छा पढ़ाती,
रोज समय से स्कूल आ जाती ।
पढ़ना सबको लगता अच्छा ,
इसलिए स्कूल आता हर बच्चा ।   
नाम : रानी 
कक्षा : 3rd 
सेंटर : अपना स्कूल , तातियागंज 

Thursday, March 15, 2012

शीर्षक : - चिड़िया रानी

 चिड़िया रानी  
चिड़िया रानी आओ तुम ,
मुझको गीत सुनाओ तुम । 
थोड़े दाने खाओ तुम ,
दाने खाकर उड़ जाओ तुम ।
मेरी  सहेली बन जाओ तुम ,
मुझको भी उड़ना सिखलाओ तुम 
मेरे आंगन में तुम रोज आना ,
चुन चुन दाने तुम खूब खाना ।




                                           नाम : सनी 
कक्षा : 5th  
सेंटर : अपना स्कूल , तमसहा 


Wednesday, March 14, 2012

कविता : हम पेड़ लगायें

कविता : हम पेड़ लगायें  
आओ हम पेड़ लगायें, 
 हरा भरा एक बाग बनायें ।
फूलों से हैं हर पेड़ सजे ,
और फल लगें ताजे ।
शाम हो या हो सवेरा ,
पक्षियों का हो बसेरा ।
नाम : शिवानी 
कक्षा : 4  
सेंटर : अपना स्कूल , तमसहा
 

Tuesday, March 13, 2012

शीर्षक : रंग बिरंगे फूल हैं


शीर्षक : रंग बिरंगे फूल हैं
फूल    हैं   फूल   हैं 
हरे  पीले   फूल   हैं
सबको भाते फूल हैं 
बड़े सुगन्धित फूल हैं 
फूल  हैं  ये  फूल   हैं
रंग बिरंगे ये फूल हैं
नाम : अजय कुमार 
कक्षा : 4  
सेंटर : अपना स्कूल , कालरा      

Saturday, March 10, 2012

शीर्षक :- "आम "


 "आम "
जब हवा चलेगी जोर - जोर , 
बच्चे भागेंगे सुनके शोर । 
ये है मौसम आमों का, 
फाल्गुन माह के गानों का । 
लटक रहे हैं आम बगीचों में ,
उनको पाने के लिए सोच रहे घर में ।
जाएँ बगीचों में आम के नीचे , 
हवा चले जब हम सोंचे । 
हवा चले झर - झर - झर ,
आम गिरें भर - भर - भर ।
जल्दी - जल्दी से हम आमों को बिन लें ,
बाग वाले से बचकर हम घर को निकलें । 


नाम : - जुगेश कुमार 
कक्षा : - 2nd             
           अपना स्कूल  


Wednesday, March 7, 2012

शीर्षक : - मुझको रंगवाया

""''मुझको रंगवाया ''

होली होई काल ,
गुलाल  उड़ी पीलो - लाल ।
रंग में जब पड़ेगा रंग , 
देख के चेहरा रहि जइबे दंग ।
                                            
                   चुनाव हुआ है अभी सीएम का ,
                                             मिलेगी कुर्सी किसको यह था भ्रम  हम सबका। । 
                                              जो जीता कुर्सी उसी के अंडर ,
                                              जो हारा वह घर के अन्दर  ।
गा - गा के होलिया के  फाग , 
जब रंग कोई डाले तो मत लेना भाग ।
क्योंकि बुरा न मानो होली है ,
गुझिया - पापड़ हलवाई ने तौली है । 
                                                      रंग ने जब अपना असर दिखाया ,
                                                      ज्यादा रंग पड़ने से सिर चकराया । 
                                                     जिस कम्बक्त ने यह त्यौहार मनाया , 
                                                    अच्छा - खासा  मुझको रंगवाया  ।

                                              
                                             
 कवि: - आशीष कुमार 
 कक्षा :- 9th  
          अपना घर , एक कदम 







चित्र :- अपना स्कूल के बच्चों के द्वारा ।